Saturday, December 22, 2012

{ ४१३ } {Dec 2012}





हिन्द की सेवा से मतलब था उसी से काम था
उसी धुन मे मगन, हर वक्त, सुबहो-शाम था
मैदाने सियासत का था मर्द कभी डरता न था
संसार में गूँजता "शेरे-हिन्द" उसका नाम था।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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