Friday, November 1, 2013

{ ६९५ } {Oct 2013}





गमगीन दिलों के ज़ख्मों को सहलाया जाये
आओ चमन से रूठी बहारों को मनाया जाये
टकरा के कहीं चूर-चूर न हो जायें ये आइने
आओ कि इन पत्थरों को फ़ूल बनाया जाये।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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