Monday, September 26, 2022

{९४४ }





अब तो शाम घिर आई आँखें भी धुँधला गईं 
सितमगर और कब तक मैं तेरा रास्ता देखूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

No comments:

Post a Comment