Friday, August 16, 2013

{ ६५७ } {Aug 2013}





जमीं पर उतरा है चाँद, खिली चाँदनी है
महक उठा जर्रा-जर्रा कितनी मोहिनी है
चट्टानें भी जिसे सुन कर झूम-झूम उठें
झरनों की सदा सी वो मधुर रगिनी है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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