Tuesday, November 1, 2022

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आहत  भावनायें  सिसकियाँ  भर रहीं 
बंद अधरों में रिसते घावों का क्रंदन है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 






न छुपाओ तुम हमसे अपनी राज की बातें 
हम तुमसे किसी बात का पर्दा नहीं करते। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 






खुशी की रुत हो या कि हो ग़म का मौसम 
नज़र उसे ही हरदम इधर-उधर ढूँढ़ती है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





चेहरे पर चढ़ाए सभी शराफत का मुखौटा 
यहाँ मुजरिम है कौन किसी को क्या पता। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





बहुत कुछ खोया है ज़िन्दगी तुझे पाने को 
सोंचता हूँ कभी अपनी वो कहानी भी कहूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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