Sunday, November 6, 2022

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माना तेरी महफ़िल गुलजार है जहां भर के सितारों से 
मुझ गुमनाम का भी नाम कभी जुबां से ले लिया करो। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





छोड़ दीजे खुद को खुद के हाल पर 
जो  गुजरती है  वो गुजर ही जाएगी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





ऐ जानेजाँ, दिलनशीं बता मैं क्या जवाब दूँ 
दुनिया ये पूछती है कि दिल कहाँ लगा बैठे। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





आखिर खता तो मेरी बताओ रूठे क्यों हो 
गुनाह क्या है गुनाह की सजा क्या मिलेगी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





चलो दर्द की जुस्तजू करके देखें 
सुकूने-तबीयत कहाँ तक तलाशें। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





अश्क पीते हुए हँसता रहा हूँ 
ज़िन्दगी मरते हुए जीता रहा हूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





जरा रुको तो सही फिर जाने हम मिलें न मिलें 
दिल के आईने में मुझे ये मंजर समेटने तो दो। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 





मिल जाए अगर कहीं खुदा तो खुदा से पूँछ लें हम 
ऐ ज़िन्दगी के मालिक कभी हमें भी खुशी मिलेगी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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