Tuesday, December 6, 2011

{ १०० } {Dec 2011}







ज़िन्दगी जब हमसे रूठी है
अपने भी रूठ जायें तो क्या
हम तनहा हैं तनहा ही रहेंगे
जमाना भी रूठ जाये तो क्या ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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