Friday, December 2, 2011

{ ९४ } {Dec 2011}






जहाँ मुखौटेधारी सत्ता का सिंहासन पा जाते हैं
धरती के सौदागर बन कर माँ का दूध लजाते हैं
जहाँ कटारी अपनों पर चलती है दुश्मन पलते है
वहाँ न पलता विश्वास सत्ताधारी सबको छलते है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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