Friday, December 30, 2011

{ १२१ } {Dec 2011}






दिखला के अपना हुस्न मुझे
तूने ऐसे माहौल में उतारा है
वस्ल की उम्मीद जगाये बैठा
हाय दिल अबतक बेसहारा है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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