Saturday, April 13, 2013

{ ५३१ } {April 2013}





जो मिले कर्म-भोग सदैव भोगते रहे
भोग-दण्ड हमने कौन-कौन नहीं सहे
कभी निराश किया हमें भाग्य-रेख नें
और कभी दिये हमें अनन्त कह-कहे।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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