Friday, April 12, 2013

{ ५२४ } {April 2013}






भटके पहचानी राहों में.. जाने किस कारण
आशाओं के पथ पर..... टूट गये अपने प्रण
सुधि और स्वयं का.... बिम्ब हुआ विस्मृत
दर्पण पे चित्रित हुआ नयनों का आकर्षण।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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