Thursday, April 18, 2013

{ ५५२ } {April 2013}





बँध गये हैं संबन्ध मेरे प्रीति के पाँव से
हो न सकूँगा दूर अब मौलश्री की छाँव से।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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