Saturday, October 25, 2014

{ ८१७ } {Oct 2014}






मैं चाहूँगा तुझे सदा तू चाहे वफ़ा का सिला न दे
प्यार गुनाह नहीं, बे-गुनाही की मुझे सजा न दे
मेरे दिल के दर्द को सुन मेरे आँसुओं को तो देख
दिल कब का मर चुका अब रूह को कजा न दे।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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