Wednesday, October 8, 2014

{ ८०३ } {Sept 2014}





अब तो शाम घिर आई आँखें भी धुँधला गईं
सितमगर और कब तक मैं तेरा रास्ता देखूँ।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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