Monday, February 27, 2012

{ १८४ } {Feb 2012}





आँधियों ने लिखा है मेरी साँसों का इतिहास
जन्म से ढो रहा जीवन का अयाचित वनवास
टूटना ही नियति है इन उपेक्षित पत्थरों का
धूल से उड रहे अधूरी आशाओं के उच्छवास ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


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