Monday, February 13, 2012

{ १६७ } {Feb 2012}






बिखरा है जहर क्यारी, कुंज और नीड में
भटक गई है सुगन्ध, बबूलों की भीड में
रो-रो के कह रही तस्वीर अपने वतन की
बढने लगी दूरी रक्त शिराओं और रीढ मॆं ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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