Monday, May 7, 2012

{ २५९ } {May 2012}




अवसाद भरी सकल दिशायें बुला रहीं
अब क्रान्ति की तूफ़ाँ भरी जवानी को
ठंडी ज्वाला हर अन्तर की ये चाह रही
शोला बन भस्म करे सत्ता दीवानी को।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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