Monday, May 7, 2012

{ २६२ } {May 2012}




तुष्टि का ही पता न जब तुम्हारे मन को तो
फ़ूल सुख का चमन में खिल जाये असंभव है
सम्पदा विश्व भर की तुमको मिल भी जाये
पर शान्ति हृदय को तुम्हारे मिले असंभव है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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