Monday, May 7, 2012

{ २५१ } {May 2012}




अपने केशों की छाँव में दो पल
मुझको ऐसे ही गुजार लेने दो
चला जाऊँगा बस मुझे केवल
अपनी कविता सँवार लेने दो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



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