Monday, May 14, 2012

{ २७७ } {May 2012}





ये भ्रमित हृदय, ये बहके मन
मानव का नित्य नैतिक पतन
वैभव, विलास से हो चकाचौंध
बढते अवनति की ओर चरन।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


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