पल्लव
Friday, October 7, 2011
{ ४ } { October 2011 }
किस कदर खुशगवार लगता है
दर्द का यों गीत या गज़ल होना
टूट न जाये कहीं दम सच्चाई का
देख कर झूठ को यों सफ़ल होना।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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