पल्लव
Friday, October 21, 2011
{ ५४ } {Oct 2011}
उसने सपने के ही फूल बांटे हैं
मेरी किस्मत में सिर्फ कांटे हैं
मैं ऐसा दर्पण जिसके चहरे पे
वक्त ने दिए बेशुमार चांटे हैं ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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