पल्लव
Thursday, October 20, 2011
{ ५० } {Oct 2011}
बैर-अनबन-फरेब और ईर्ष्या का
एक षडयंत्र हम रोज ही रचते है
ओढ़ लेते है झूठ का लबादा हम
और सत्य की रोशनी से बचते है ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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