पल्लव
Wednesday, October 19, 2011
{ ३६ } { Oct 2011 }
चंद सपने घूमते आँखों में
कल्पना की उड़ान पंखों में
टाँकता हूँ गुलाब गीतों के
ज़िंदगी की उदास शाखों में ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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