पल्लव
Saturday, October 8, 2011
{ १५ } { October 2011 }
चाहे वंशी हो या चाहे हो रणभेरी
मन दोनो स्वर को छुआ करता
कर्क बस इतना है कि दोनो का
अपना-अपना समय हुआ करता।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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