पल्लव
Tuesday, October 18, 2011
{ ३४ } {Oct 2011}
हर खुशी आप की सहेली है
मेरी तो ज़िन्दगी अकेली है
फर्क सिर्फ कुछ लकीरों का
वरना वैसी ही हर हथेली है ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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