पल्लव
Friday, October 7, 2011
{ ८ } { October 2011 }
जिसके रहते हुए भी रहा न गया
और जिसका भरम कहा न गया
एक दिन गीत बन गया आखिर
हाय, वो सितम जो सहा न गया।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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