पल्लव
Thursday, October 20, 2011
{ ४७ } {Oct 2011}
ये बेजुबान चीजों की फीकी नुमाइश
ये गुल, ये कलियाँ, ये तारे हटा दो
जहाँ से गुजरना है इस महजबीं को
वहाँ मेरे सीने की धडकन बिछा दो ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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