पल्लव
Friday, October 21, 2011
{ ६३ } {Oct 2011}
जीवन-गति बनी कंटकाकीर्ण है,
वर्तमान जीना है मुश्किल यहाँ,
भूत गर रखो अपनी सुधियों में,
तो भविष्य सुधार मुश्किल कहाँ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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