पल्लव
Friday, October 21, 2011
{ ५५ } {Oct 2011}
अगर यह साकी पर हमारी
नवाजिश नही तो क्या है ?
मैंने उसके हुस्न को सराहा
तो ही उसे देखने वाले आये ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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