Friday, October 21, 2011

{ ५९ } {Oct 2011}





रूप सुन्दर, चलन भी सुन्दर हो
या देह का आवरण भी सुन्दर हो
पर सार्थक है उसी की सुंदरता ही
जिसका अंतःकरण भी सुन्दर हो ||

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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