Friday, October 7, 2011

{ २ } { October 2011 }






जाने कब से इधर-उधर भटक रहा है वो
मेरी किस्मत का जो खत लिखा है तुमने
इसमे डाकिया क्या करे जब लिफ़ाफ़े पर
मेरा पता ही गलत लिख दिया है तुमने।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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