Wednesday, October 19, 2011

{ ३५ } { Oct 2011 }







तलाश कर रहा हूँ अपनों में अपनों की
जबसे अपने ही हो गए है हमसे बेगाने
इस गमें-जिन्दगी से ही निपट लूं अभी
मौत क्या है? ये अभी से हम क्या जाने|

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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