पल्लव
Thursday, October 20, 2011
{ ५२ } {Oct 2011}
रक्त रंजित भोर है और दोपहर घायल,
ख़ूबसूरत चांदनी छनछनाती है पायल ||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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