Tuesday, January 10, 2023

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जबसे मरघटों ने कनारों पर कब्जा कर लिया 
साहिल पर तड़प रहा है बेघर हुआ सन्नाटा। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



दरमियाँ यों न फासले रखो 
काश ऐसे भी सिलसिले रखो 
अपने इस उदास आँगन में 
फूल उम्मीद के कहिले रखो।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


 

दरमियाँ हैं दूरियाँ मगर दिल नजदीक हैं 
खामोशीयों के बीच सदा उसकी आ रही। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



अथाह सागर प्रेम का, थाह न पावे कोय। 
बिन लालच तू प्रेम कर, मन भर आनन्द होय।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



किससे कहूँ दर्दे-दिल, किससे करूँ मैं शिकायतें 
ज़िन्दगी में हर कदम पर गैरों की महफ़िल सजी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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