Wednesday, January 4, 2023

{९९३}



कभी आओ तो तुमको मैं दिखला दूँ 
मैंने किस शौक से अपने ग़म पाले हैं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 




खुशियाँ कम  और  अरमान बहुत हैं 
गायब हो गयी हँसी, परेशान बहुत हैं 
सँभालों साहिल पे बने  रेत के महल 
समंदरों में उफनाते तूफ़ान बहुत हैं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 




सुनो  जमाने  के  लोगों ये मेरे  दिल की आवाज है 
मोहब्बत छूट नहीं सकती, मेरा है वो मैं उसका हूँ।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल  




कब तक देखेंगे हम ऐसे वहशी मंजर 
न इंसान बचे न इंसानियत बची कहीं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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