Monday, January 9, 2023

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सोई हैं  आँखें  जागते  सपनों के साथ 
लिपटी हैं ख्वाहिशें चँद साँसों के साथ 
सन्नाटों का शोर गूंज रहा है  हर तरफ 
बीत रहे लम्हे नित नए सदमों के साथ।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



चलो लौट चलें सुखन की दुनिया में 
वहाँ कुछ तो चैनों-आराम मिलेगा। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



हम हँस-हँस कर अपने ग़म छुपाते हैं 
तनहा होते हैं तो रो लेते हैं जी भर कर। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



कुछ पल तो हँस लें कहकहे लगा लें 
यूँ ही जीते जाना कोई ज़िन्दगी नहीं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



ज़िन्दगी मैखाना है मदहोश होकर जिये जाइये 
जीस्त की दुश्वारियाँ जाम समझ कर पिये जाइये। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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