Saturday, January 7, 2023

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सियाही से इरादों की तस्वीर क्यों हो बनाते 
अपने खूँ से तस्वीर बनाओ तो असल होगी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



तेरा दिल यूँ सँभाल कर रखा है 
जैसे खजाना सँभाल कर रखा है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



फूल के बाद रोज नए-नए फूल खिलें 
दुआ है कभी खाली न हो दामन तेरा। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



मैं जाने कहाँ रख के उन्हे भूल गया हूँ 
वो लम्हे जो हंस कर बिताने के लिए थे। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



शजर दर शजर सिर्फ धोखा है ठण्डी छाँव का 
हासिल मुकाम सहरा के तपते सफ़र से ही है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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