सियाही से इरादों की तस्वीर क्यों हो बनाते
अपने खूँ से तस्वीर बनाओ तो असल होगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
तेरा दिल यूँ सँभाल कर रखा है
जैसे खजाना सँभाल कर रखा है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
फूल के बाद रोज नए-नए फूल खिलें
दुआ है कभी खाली न हो दामन तेरा।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
मैं जाने कहाँ रख के उन्हे भूल गया हूँ
वो लम्हे जो हंस कर बिताने के लिए थे।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
शजर दर शजर सिर्फ धोखा है ठण्डी छाँव का
हासिल मुकाम सहरा के तपते सफ़र से ही है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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